विषय 2 भारत में ग्राम पंचायत की भूमिका
भूमिका
भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में ग्रामीण भारत की उन्नति और प्रशासनिक व्यवस्था को सशक्त बनाना किसी भी सरकार की प्राथमिकता होती है। देश की लगभग पैंसठ प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती है और इन गाँवों के सुचारु संचालन विकास और जनकल्याण के लिए ग्राम पंचायतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ग्राम पंचायतें न केवल विकास की योजनाओं को लागू करती हैं बल्कि सामाजिक न्याय जनसुनवाई और लोकतांत्रिक भागीदारी का मजबूत आधार भी प्रस्तुत करती हैं।
ग्राम पंचायतों की भूमिका का विस्तृत विश्लेषण
पहला स्थानीय शासन की मूल इकाई के रूप में
ग्राम पंचायतें पंचायती राज की त्रिस्तरीय प्रणाली की प्रथम इकाई हैं। इनका गठन ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित सदस्यों से होता है। ग्राम पंचायतें गांवों के स्तर पर निर्णय लेने योजनाओं को लागू करने और जनसेवा करने के लिए सीधे तौर पर उत्तरदायी होती हैं।
दूसरा लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना
ग्राम पंचायतों का सबसे बड़ा योगदान भारत के लोकतंत्र को गांव के स्तर पर जीवंत बनाए रखना है। गाँव के निवासी प्रत्यक्ष रूप से अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं और उनसे जवाबदेही की अपेक्षा करते हैं। इस तरह लोकतंत्र केवल शहरी या उच्च स्तर का विषय नहीं रह जाता बल्कि यह हर नागरिक के जीवन से जुड़ जाता है।
तीसरा विकास कार्यों का क्रियान्वयन
ग्राम पंचायतें गाँव के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाएँ जैसे सड़कें नालियाँ जल आपूर्ति प्रकाश व्यवस्था स्वास्थ्य केंद्र स्कूल आंगनवाड़ी आदि का निर्माण और देखभाल करती हैं। इन कार्यों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाता है।
चौथा सरकारी योजनाओं का संचालन
भारत सरकार और राज्य सरकारें विभिन्न ग्रामीण विकास योजनाएँ शुरू करती हैं जैसे कि
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम
प्रधानमंत्री आवास योजना
स्वच्छ भारत मिशन
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
आयुष्मान भारत योजना
इन योजनाओं को गाँवों तक पहुँचाने और उचित लाभार्थियों तक वितरण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की होती है।
पांचवां समाज में समानता और न्याय की स्थापना
ग्राम पंचायतें सामाजिक न्याय की दिशा में भी कार्य करती हैं। अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग महिलाओं दिव्यांगों और अन्य वंचित वर्गों को योजनाओं का लाभ दिलाने सामाजिक कुरीतियों से लड़ने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में पंचायतों की भूमिका अहम होती है।
छठा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
भारत में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की गई हैं। कई राज्यों ने यह आरक्षण पचास प्रतिशत तक बढ़ाया है। इससे गाँवों की महिलाओं को नेतृत्व का अवसर मिलता है और वे सामाजिक बदलाव की वाहक बनती हैं।
सातवाँ शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार
ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालयों आंगनवाड़ियों स्वास्थ्य केंद्रों आदि की स्थिति की निगरानी करें। साथ ही जनसंख्या नियंत्रण टीकाकरण साफ सफाई जैसे अभियानों का संचालन भी पंचायतों की भूमिका में शामिल है।
आठवाँ रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान
ग्राम पंचायतें मनरेगा जैसी योजनाओं के माध्यम से गांव के लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। इसके अलावा वे ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योग महिला समूह हस्तशिल्प पशुपालन आदि को बढ़ावा देती हैं जिससे आत्मनिर्भरता को बल मिलता है।
नवां पर्यावरण संरक्षण
वृक्षारोपण जल संरक्षण जैविक खाद स्वच्छता आदि को बढ़ावा देने के लिए पंचायतें जागरूकता अभियान चलाती हैं और सामुदायिक स्तर पर गतिविधियाँ आयोजित करती हैं।
दसवाँ ग्राम सभा का आयोजन और जन भागीदारी
ग्राम पंचायतें नियमित रूप से ग्राम सभा का आयोजन करती हैं जहाँ ग्रामीणों से उनकी आवश्यकताओं शिकायतों और सुझावों के बारे में जानकारी ली जाती है। इससे शासन में पारदर्शिता और जनभागीदारी सुनिश्चित होती है।
ग्राम पंचायतों की सीमाएँ और चुनौतियाँ
पहली वित्तीय संसाधनों की कमी
कई बार ग्राम पंचायतों को समय पर अनुदान नहीं मिलते या उनके पास राजस्व जुटाने के पर्याप्त साधन नहीं होते जिससे योजनाओं में देरी होती है।
दूसरी शिक्षा और तकनीकी जानकारी का अभाव
कई पंचायत प्रतिनिधि पढ़े लिखे नहीं होते या तकनीकी रूप से प्रशिक्षित नहीं होते जिससे योजनाओं के संचालन में कठिनाई आती है।
तीसरी भ्रष्टाचार और पक्षपात
कई पंचायतें भ्रष्टाचार भाई भतीजावाद और राजनीति से प्रभावित होती हैं जिससे विकास कार्यों की गुणवत्ता गिरती है।
चौथी राजनीतिक हस्तक्षेप
कुछ पंचायतें स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पातीं और उन पर विधायक या सांसद का दबाव बना रहता है।
पांचवीं जन जागरूकता की कमी
ग्रामसभा में लोगों की भागीदारी बहुत कम होती है जिससे पंचायतों को जन समर्थन नहीं मिल पाता।
ग्राम पंचायतों की भूमिका को प्रभावी बनाने के उपाय
प्रतिनिधियों का नियमित प्रशिक्षण
पंचायत सदस्यों को योजनाओं अधिकारों और तकनीकी विषयों पर समय समय पर प्रशिक्षण दिया जाए
डिजिटल गवर्नेंस
ग्राम पंचायतों को कंप्यूटर इंटरनेट और पंचायत पोर्टल से जोड़ा जाए ताकि कार्यों की निगरानी और रिपोर्टिंग पारदर्शी हो
जनभागीदारी को बढ़ावा
ग्राम सभा की बैठकों को अनिवार्य किया जाए और गाँव वालों को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए
लेखा परीक्षा और सामाजिक ऑडिट
हर योजना की सामाजिक ऑडिट सुनिश्चित की जाए ताकि जनता को जानकारी रहे कि उनके पैसे का सही उपयोग हुआ है या नहीं
नवाचार को प्रोत्साहन
हर पंचायत को नए प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जैसे डिजिटल भुगतान कचरा प्रबंधन महिला रोजगार आदि
निष्कर्ष
ग्राम पंचायतें भारत की आत्मा के रूप में कार्य करती हैं। ये न केवल शासन की अंतिम इकाई हैं बल्कि सामाजिक परिवर्तन ग्रामीण विकास और लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ भी हैं। यदि पंचायतों को सही संसाधन स्वतंत्रता और जागरूक जनसमूह का साथ मिले तो वे भारत के गाँवों को आत्मनिर्भर समृद्ध और उन्नत बना सकती हैं।
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